घटक– प्रवाल पिष्टी, मुक्ता पिष्टी, रस सिन्दूर, अभ्रक भस्म, स्वर्ण भस्म, रौप्य भस्म, लौह भस्म, नाग भस्म, बंग भस्म.
भावना– अडूसा स्वरस, हल्दी स्वरस, कमल पुष्प स्वरस, मालती पुष्प स्वरस, गाय का दूध, केले के स्तम्भ का रस, चन्दन फांट की प्रत्येक 7-7 भावना.
बिल्व पत्र स्वरस, निम्ब पत्र स्वरस, करेला स्वरस और उदम्बर क्वाथ की एक-एक भावना.
शतावर, असगंध, गोक्षुर, कौंच बीज और उटंगन बीज के क्वाथ की एक-एक भावना. इस तरह से यह विशेष प्रभावशाली बन जाता है.
मात्रा एवम सेवन विधि
मधुमेह में – एक से दो गोली कच्चे दूध में घोलकर सुबह-शाम
काम विकार और यौन रोगों में – एक से दो गोली शहद या मलाई से
उपयोग-
बसन्तकुसुमाकर रस अंडकोष, ह्रदय, मस्तिष्क, जननेंद्रिय और फेफड़ों के लिए पौष्टिक, वीर्यवर्धक, कामोत्तेजक, मधुमेहनाशक और मानसिक निर्बलता का नाश करने वाला है. जीर्ण मधुमेह या पुरानी शुगर और उसकी वजह से होने वाली उपद्रव जैसे धड़कन, साँस चलना, खाँसी, लिंग की कमज़ोरी, धात गिरना, प्रमेह, प्रमेह पीड़ीका, शुक्रक्षय, ज़रा सा सेक्सी विचार आते ही वीर्य का निकल जाना, भ्रम, नीन्द नहीं आना, रक्तपित्त, हार्ट की कमज़ोरी, सुखी खाँसी, ज़रा सा ही काम करने से कमज़ोरी हो जाना, लिवर स्प्लीन की ख़राबी, सुजन, महिलाओं का प्रदर, रक्त प्रदर, पुराना से पुराना ल्यूकोरिया इत्यादि दूर करने में बेजोड़ है.
बसन्तकुसुमाकर रस का परिणाम अंडकोष पर बल्य होता है, अतः यह उत्तम वृष्य औषधि है. छोटी आयु में ग़लत आदत होना, हस्तमैथुन के कारण हुई कमजोरी से हुआ लिंग का ढीलापन, नपुंसकता, सेक्सी विचार मात्र आने से चिपचिपा पानी निकलना इत्यादि समस्या दूर होती है.
नोट – अत्यधिक बढ़ी हुयी कमोतेजना में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए अन्यथा विपरीत प्रभाव हो सकता है.
Packing – 1 ग्राम
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