यह योगराज गुग्गुल से ज़्यादा गुणवाला और ज़्यादा असरदार होता है. यह रसायन, दीपक, पाचक, आमदोष नाशक, वातघ्न और धातुपोषक है. यह हर तरह के वातरोग, आमवात, सन्धिवात, रक्तवात, मोटापा और महिलाओं के गर्भाशय दोष में अत्यन्त लाभकारी है.
महायोगराज गुग्गुल की मात्रा और सेवन विधि – एक से दो गोली सुबह-शाम रोगानुसार उचित अनुपान से देना चाहिए. वातरोगों में महारास्नादि क्वाथ से, वातरक्त में गिलोय के रस या क्वाथ से, मोटापा में शहद से, पेट के रोगों में पुनर्नवादि क्वाथ से देना चाहिए.
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