श्वासरोग या अस्थमा के लिए यह आयुर्वेद की पॉपुलर दवा है. वात, कफ़ प्रधान खाँसी, अस्थमा, जुकाम, गला बैठना, सर दर्द, माईग्रेन जैसे रोगों में बेहद असरदार है. इसे खाने के अलावा सूंघने में भी इस्तेमाल किया जाता है. मृगी, हिस्टीरिया, उन्माद और सन्निपात जैसे रोगों में अगर रोगी बेहोश हो जाये तो इसे पीसकर नाक में फूँकने से होश आ जाता है. पित्त प्रधान खाँसी, अस्थमा और अस्थमा के साथ दिल की कमज़ोरी वाले रोगयों को इस दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
श्वासकुठार रस की मात्रा और सेवन विधि –125mg से 375mg तक रोज़ दो-तीन बार तक शहद और अदरक के रस, पिप्पली चूर्ण या फिर रोगानुसार उचित अनुपान के साथ देना चाहिए.
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