रोग निर्देश- नए पुराने हर तरह के चर्मरोगों या स्कीन डिजीज की यह असरदार औषधि है जो कभी फेल नहीं होती. यह रक्तशोधक और रक्तवर्धक गुणों से भरपूर होती है. फोड़ा-फुन्सी, ज़ख्म, अपरस, चकत्ते पड़ना, एक्जिमा, सोरायसिस, कुष्ठ, भगन्दर, नाड़ीव्रण या नासूर, ट्यूमर, गलगंड, गण्डमाला, उपदंश और वातरक्त जैसे रोगों को दूर करने में बेहद असरदार है.
पंचतिक्तघृत गुग्गुल की मात्रा और सेवन विधि – दो से चार गोली सुबह-शाम
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